|| जय श्री राम ||  
 ||जय राणाजी ||
              यवतमाल के राजपूत समाज की स्थापना  सही मायने में 1993 में यवतमाल में बसे कुछ राजपूत 
        लोगों द्वारा की गई थी। समाज की पहली गतिविधि वैवाहिक परिचय समारोह था। इसके बाद समाज ने समय
        -समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस विनम्र शुरुआत से समाज  एक लंबा सफर तय कर चुका था। परन्तु
        किसी कारणवश समाज की पंजीकृत संस्था  2006 के बाद कुछ समय के लिए निश्क्रिय  थी, जिससे पुरानी संस्था
         रद्द कर दी गई। 
            
       		 समाज दिशाहीन न रहे, संघटीत रहे, इसके चलते समाज को संघटीत करके, आनेवाले 
        समय मे सभी समारोह एक संगठन के निचे सुरक्षीत तौर पे होने के लिए राजपुत समाज बहुउददेशिय संस्था 
        का गठन 2019 में किया गया । संस्था का गठन करने से समाज को सामाजिक एवंम न्यायीक शक्ती प्रदान
        हुई । संस्था के माध्यम से सभी कार्य सुचारु रुपसे किये जा रहे है । इसमे समाजके सभी बांधवोका सहयोग 
        मिल रहा है ।और आज यवतमाल राजपूत समाज वहां के लोगों की सेवा कर रहा है। यवतमाल राजपूत 
        समाज सामाजिक और सांस्कृतिक  प्रचार के क्षेत्र में सक्रिय है ।